भारतीय संविधान का प्रारूप कैसे तैयार किया गया था और किसने तैयार किया था?

आज यानी 26 नवंबर का दिन भारत में 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इसकी वजह है कि इसी दिन यानी 26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया गया था. और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था. आइए जानते हैं भारतीय संविधान का प्रारूप कैसे तैयार किया गया था और किसने तैयार किया था.

अगस्त प्रस्ताव के मायने?

भारत में संविधान सभा के गठन का विचार साल 1934 में पहली बार एम.एन राॅय ने रखा था. एम.एन राॅय वामपंथी आंदोलन के प्रखर नेता और परिवर्तन का समर्थन करने वाले प्रजातंत्रवाद के पैरोकर थे. साल 1935 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने पहली बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक तौर पर संविधान के गठन की मांग की थी.

साल 1938 में कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा की तरफ से की जाएगी. इसमें कोई भी बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा.

नेहरू की इस मांग को ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार कर लिया. इसे साल 1940 के 'अगस्त प्रस्ताव' के रूप में जाना जाता है. साल 1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री सर स्टैफोर्ड क्रिप्स, ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य, एक स्वतंत्र संविधान के निर्माण के लिए ब्रिटिश सरकार के एक प्रारूप प्रस्ताव के साथ भारत आए. इसकी सबसे खास बात यह थी कि इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनाया जाना था.

बता दें, क्रिप्स प्रस्ताव को मुस्लिम लीग ने अस्वीकर कर दिया था. मुस्लिम लीग की मांग थी कि भारत को दो स्वायत्त हिस्सों में बांट दिया जाए, जिनकी अपनी-अपनी संविधान संभाएं हों. इसके लिए भारत में एक 'कैबिनेट मिशन' को भेजा गया.

इस मिशन ने दो संविधान सभाओं की मांग को सीधे तौर पर ठुकरा दिया. लेकिन उसने ऐसी संविधान सभा के निर्माण की योजना रखी, जिसने मुस्लिम लीग को काफी हद तक संतुष्ट कर दिया.

संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई?

9 दिसंबर 1946. इसी दिन संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी. मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार करते हुए अलग पाकिस्तान की मांग पर जोर दिया. जिसकी वजह से बैठक में केवल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया, वैसे कुल सदस्य संख्या 389 होनी थी. फ्रांस की तरह इस सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डाॅक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया.

इसके ठीक दो दिन बाद यानी 11 दिसंबर, 1946 को डाॅक्टर राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष और एच.सी मुखर्जी को उपाध्यक्ष चुन लिया गया. वहीं, बी.एन.राय को संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया था.

नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव में क्या खास था?

13 दिसंबर, 1946. अध्यक्ष पद की नियुक्ति के ठीक दो दिन बाद. पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया. इसमें संवैधानिक संरचना के ढांचे और दर्शन की झलक थी, जो आज भी हमारे संविधान की सबसे खूबसूरत चीज है.

#यह संविधान सभा भारत को एक स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य घोषित करती है. और अपने भविष्य के प्रशासन को चलाने के लिए एक संविधान के निर्माण की घोषणा करती है.

#भारत के सभी लोगों के लिए न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता, सुरक्षा, अवसर की समता, कानून के सामने समता, विचार और अभिव्यक्ति, विश्वास, संगठन बनाने की स्वतंत्रता और नैतिकता की स्थापना सुनिश्चित की जाएगी.

#स्वतंत्र भारत की सभी शक्तियां और अधिकार, इसके अभिन्न अंग और सरकार के अंग, सभी स्रोत भारत की जनता होगी.

#अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी.

इस प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1946 को स्वीकार कर लिया गया था, वो भी सर्व सम्मति से.

प्रारूप समिति क्यों थी इतनी महत्वपूर्ण?

संविधान सभा ने संविधान के निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों को करने लिए कई समितियों का गठन किया गया. इनमें 8 बड़ी समितियां और कुछ छोटी समितियां थीं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण समिति थी प्रारूप समिति. इसका गठन 29 अगस्त 1947 को किया गया था. इसका काम था कि नए संविधान के प्रारूप को तैयार करना. इसमें कुल सात सदस्य थे. इस समिति के अध्यक्ष डाॅक्टर बी.आर.अंबेडकर थे.

अन्य 6 सदस्य

-एन गोपालस्वामी आयंगार                                                                                                    -अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर                                                                                                  -डाॅक्टर के.एम.मुंशी                                                                                                              -सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला                                                                                                        -एन.माधव राव                                                                                                                  -टी.टी.कृष्णामाचारी

संविधान का प्रारूप पहली बार कब प्रकाशित किया गया ?

सबसे पहले अलग-अलग समितियों के प्रस्तावों पर विचार किया गया. इसके बाद प्रारूप समिति ने भारत के संविधान का पहला प्रारूप तैयार किया. इसे फरवरी 1948 में प्रकाशित किया गया था. भारत के लोगों को इस प्रस्ताव चर्चा करने और संशोधनों का प्रस्ताव देने के लिए 8 महीने का समय दिया गया. 

लोगों की शिकायतों, आलोचनाओं और सुझावों को ध्यान में रखते हुए प्रारूप समिति ने दूसरा प्रारूप तैयार किया, जिसे अक्टूबर 1948 को प्रकाशित किया गया था. प्रारूप समिति ने अपना प्रारूप तैयार करने में 6 महीने से कम का समय लिया. इस दौरान कुल 141 बैठकें हुईं.

जब अंबेडकर ने संविधान का प्रारूप पेश किया

4 नवंबर 1948. इसी दिन अंबेडकर ने सभा में  संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया. इस बार संविधान पहली बार पढ़ा गया. सभा में इस पर पांच दिन आम चर्चा हुई यानी 9 नवंबर 1949 तक.

संविधान की दूसरी बार विचार 15 नवंबर 1948 के दिन शुरू हुआ. इसमें संविधान पर खंड में विचार किया गया. यह कार्य 17 अक्टूबर 1949 तक चला. इस दौरान कम-से-कम 7653 संशोधन प्रस्ताव पेश किए गए, जिनमें से सिर्फ 2473 पर ही चर्चा हो पाई थी.

14 नवंबर 1949 को संविधान पर तीसरी बार विचार शुरू हुआ. अंबेडकर ने 'द काॅन्सटिट्यूशन एज सैटल्ड बाय द असेंबली बी पास्ड' प्रस्ताव पेश किया. संविधान के प्रारूप पर पेश इस प्रस्ताव को 26 नवंबर 1949 को पारित घोषित कर दिया गया. इस पर सभी सदस्यों और अध्यक्ष के हस्ताक्षर लिए गए.

सभा में कुल 299 सदस्यों में से इस दिन केवल 284 सदस्य ही उपस्थित थे, जिन्होंने संविधान पर हस्ताक्षर किया था. संविधान की प्रस्तावना में 26 नवंबर 1949 का उल्लेख उस दिन के रूप मे किया गया है, जिस दिन भारत के लोगों ने सभा मे संविधान को अपनाया. अपनाए गए संविधान में प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं. इसमें सबसे जरूरी बात ये है कि प्रस्तावना को पूरे संविधान के लागू करने के बाद लागू किया गया.

संविधान की प्रस्तावना- एज इट इज (हिंदी में)

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए,तथा 

                                           उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,

                               विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म

                                          और उपासना की स्वतंत्रता,

                                           प्रतिष्ठा और अवसर की समता,

                                           प्राप्त कराने के लिए,

                                           तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा

                           और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली

बंधुता बढ़ाने के लिए

दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.
अंग्रेजी में- AS it is

WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN

SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC and to secure to all its citizens:

JUSTICE, social, economic and political;

LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship;

EQUALITY of status and of opportunity;

and to promote among them all

FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the unity and integrity of the Nation;
In Our Constituent Assembly this twenty-sixth day of November, 1949, do Hereby Adopt, Enact And Give To Ourselves This Constitution.

Write a comment ...